
राजनीति के गलियारों में हलचल तब तेज हो गई जब आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और YSR कांग्रेस प्रमुख वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने दावा किया कि तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के नेता और मौजूदा सीएम एन. चंद्रबाबू नायडू की कांग्रेस नेता राहुल गांधी से बातचीत चल रही है।
जगन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राहुल गांधी सीधे तौर पर तेलंगाना के सीएम ए. रेवंत रेड्डी के जरिए चंद्रबाबू से संपर्क में हैं। इस बयान ने राजनीतिक पारा और चढ़ा दिया है।
राहुल गांधी की चुप्पी पर सवाल, कांग्रेस पर तंज
जब पत्रकारों ने जगन से बिहार में चल रहे वोट चोरी विवाद पर सवाल पूछा, तो उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए पूछा:
“जब हमने 2024 के चुनाव में वोट चोरी का मुद्दा उठाया, तब कांग्रेस हमारे साथ क्यों नहीं आई? क्या 12% वोटिंग और काउंटिंग में अंतर कोई छोटी बात थी?”
उन्होंने कांग्रेस प्रवक्ता मणिकम टैगोर पर भी निशाना साधा और कहा कि अगर राहुल गांधी अब नायडू के संपर्क में न होते, तो कांग्रेस TDP की शराब नीति पर आंखें नहीं मूंदती।
क्या है बिहार का वोट चोरी विवाद?
बिहार में चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे Special Intensive Revision (SIR) के तहत ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी हुई है। लेकिन लिस्ट पर जमकर बवाल मचा है।
-
तेजस्वी यादव का आरोप है कि ड्राफ्ट लिस्ट से 65 लाख वोटर्स के नाम गायब हैं।
-
उन्होंने कहा कि BJP ने विपक्षी वोट कटवाए और अपने समर्थकों के 2-2 फर्जी वोट बनवाए।
-
कुछ वोटर्स को मृतक दिखाकर उनका नाम हटा दिया गया, जबकि वे जिंदा हैं।
इस विवाद ने सिर्फ बिहार ही नहीं, दिल्ली तक की राजनीति गर्मा दी है। INDIA गठबंधन ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया है।
क्या आने वाला है बड़ा सियासी धमाका?
जगन रेड्डी के इस दावे से राजनीतिक विश्लेषकों के बीच बहस छिड़ गई है कि क्या चुनावों की तैयारी में नए समीकरण बन रहे हैं? क्या चंद्रबाबू नायडू, राहुल गांधी की छतरी के नीचे आ रहे हैं?
अगर ऐसा होता है, तो दक्षिण भारत की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है। और जगन का डर कहीं उनकी रणनीतिक हताशा का संकेत तो नहीं?
वोट चोरी से शुरू हुई बहस अब सियासी गठबंधन के शक और रहस्यमयी मेलजोल तक पहुंच गई है। अब देखना ये है कि राहुल गांधी और कांग्रेस इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं। और क्या वाकई चंद्रबाबू नायडू NDA से अलग होकर नई राह तलाश रहे हैं?
नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल 2025 से खिलाड़ियों की बल्ले-बल्ले, बड़ों की छुट्टी